कितने परवाने जले राज ये पाने के लिए,
शमा जलने के लिए है या जलाने के लिए,
रोने वाले तुझे रोने का सलीका भी नहीं,
अश्क पीने के लिए है या बहाने के लिए,
आज कह दुँगा शब-ऐ-गम से..
रोज आ जाता है कम्बखत सताने के लिए,
मुझ को मालुम था आप आऐंगे मेरे घर लेकिन,
खुद चला आया हुँ मैं याद दिलाने के लिए.. ...
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