Tuesday, January 14, 2014

Khidki Se Jhankta Hu Mai..!!


खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई  
...


आज उसे एहसास मेरी मोहब्बत का हुआ
शहर में जब चर्चा....मेरी शोहरत का हुआ,
नाम नहीं लेती.....मुझे अब जान कहती है
देखो कितना असर उसपर दौलत का हुआ... ...



भुलाना आपको ना आसान होगा,
भुले जो आपको वो नादान होगा,
आप बसते हो दिल में हमारे,
आप हमें ना भुलें ...
.... ये आपका ऐहसान होगा...!! 
...



No comments:

Post a Comment