Friday, September 19, 2014

इन अन्जानी राहों में, कुछ अनजाने गम हैं

इन अन्जानी राहों में, कुछ अनजाने गम हैं,
सब कुछ है पास अब, फ़िर भी तनहा हम हैं,
हर ख़ुशी अधूरी है, जो तुम सब
नहीं ज़िन्दगी में,
क्यूंकि, आज इस ज़िन्दगी में कुछ शख्स कम है।।
आज फिर से वही एहसास, ज़हन मैं लौट कर
आया है,
भूल चुके थे जिन्हे हम, आज
लगा उन्ही का साया है,
आज भी याद है वो दिन, जब
हमारी राहें बदली थी,
जब वक़्त ने कहा की उठ जा, अब जाने का समय
आया है।।
पता ही नहीं चला कि, कुछ पल में हम
सब इतनी दूर हो गए,
ऐसा भी क्या हुआ की, एक दूसरे से
दूर जाने को मजबूर हो गये,
इस रंगीन दुनिया से तुम सब ने, खुद
ही नाता तोड़ लिया,
और ऐसा लगा जैसे, यहाँ हर रंग खुद
हमारी ज़िन्दगी से दूर हो गए।।
सबके घरों में रंग थे, सिर्फ़ हमारे बाग़बान के
फूल ही बेरंग थे,
हर तरफ खुशियाँ थीं, और यहाँ तो दिल के रास्ते
ही तंग थे,
ये माना कि ज़िन्दगी तो आगे
बढ़ती रहेगी, पर वो बात कहाँ,
इसकी तो रौनक और बात ही अलग
थी, जब हम सब संग थे।।
आज फिर ये रंगीन मौसम है, और
साथ तुम्हारी याद है,
तुम सब खुश रहो, बस यही मेरे दिल कि फ़रियाद
है,
माना कि ज़िन्दगी में शायद अब, तुम चाह कर
भी नहीं हो,
फिर भी हमारे
जज़्बातों का शहर, तुम्हारी यादों से ये आबाद है।।
एक वादा है कि, हर रंग में हमेशा एक रंग तुम्हारा होगा,
ये कमी भी दूर
हो ही जाएगी, जब हाथों में
हाथ तुम्हारा होगा,
हक़ीकत का तो पता नहीं, पर यादों में
हमे जरुर रखना,
और भी महफ़िले जमेगी कल, ग़र फिर
से साथ तुम्हारा होगा।।

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